Examine This Report on बबूल के फायदे और नुकसान





और पढ़ें: दस्त रोकने में फायदेमंद गोखरू

बबूल की गोंद में फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यह पेट में अतिरिक्त गैस के उत्पादन और पेट की सूजन को कम करता है। गैस और सूजन होने पर पेट में दर्द होता है। यह गोंद आंतों को भी स्वस्थ और साफ रखता है। ज्यादा कब्ज रहने से पेट की समस्याएं उत्पन्न होती है। यदि उचित मात्रा में फाइबर का उपयोग करते हैं तो यह मल त्याग में आने वाली समस्याओं को कम कर सकता है।

अत्यधिक मात्रा में गोंद का सेवन करने से मुंह का स्वाद भी खराब हो सकता है।

बबूल के गोंद का पानी पिलाने से पेचिश और दस्त दूर होते है। गोंद को दस ग्राम की मात्रा में लेकर, पचास ग्राम पानी में भिगोकर, मसलकर और फिर छान कर पीना चाहिए।

आयुर्वेद के अनुसार, बबूल एक बहुत ही उत्तम औषधि है। इसलिए अगर आप बीमारियों में बबूल का इस्तेमाल करते हैं निःसंदेह आपको बहुत फायदा मिल सकता है। आइए जानते हैं कि जिस पेड़ को बहुत ही साधारण समझा जाता है, उस बबूल से क्या-क्या लाभ मिल सकता है।

इसकी कच्ची फलियों का गाढा तरल निकालकर उस गाढे तरल को कपड़ों पर गाडा-गाडा लगाकर सुखा लें जिससे कपड़ा सौंखकर मोम जमे की तरह हो जाए। इस कपड़े को चोली बनाकर जिस स्त्री की छाती लटक गई हो उसको पहनाने से उसकी छाति सख्त और मजबूत हो जाती हैं।

नारू / babul Rewards for naru kidaइसके बीजों के चूर्ण को पानी के साथ पीसकर लेप करने से नारू मिटता है।

बबूल के पत्ते के पेस्ट का उबटन लगाने से भी पसीना आना बंद हो जाता है।

बबूल की फली का छिलका और बादाम के छिलके की राख में नमक मिलाकर मंजन करने से दांतों की सभी प्रकार की पीड़ा मिटती है।

बबूल का अधिक मात्र में सेवन करने से बचे इसका अधिक सेवन शरीर के अंगों जैसे की लीवर व किडनी को ख़राब कर सकता है।

बबूल have a peek at this web-site की छाल में मिश्री मिलाकर पीने से शरीर में होने वाले जलन की समस्या में आराम मिल सकता है।

(और पढ़े – टूटते बालों से हैं परेशान तो अपनाएं ये घरेलू उपाय)

शरीर के किसी भी अंग से रक्तस्राव हो रहा हो तो उस अंग पर बबूल के पत्तों का रस लगाएं। इससे रक्तस्राव रुक जाता है।

बबूल का गोंद समशीतोष्ण है अर्थात ना तो गर्म और ना ठंडा। यह आमाशय और आंतों को शक्ति देता है। सीने के दर्द, खांसी और गले की खुश्की को यह मिटाता है। आवाज को साफ करता है। श्वास नली के लिए यह फायदेमंद और धातु स्राव में यह बहुत लाभदायक है। दस्तों को बंद करता है। खांसी को मिटाता है। कई उप्र औषधियों के दर्प को नष्ट करता है। इसको रोगन गुल मे भूनकर खाने से किसी भी अंग से होने वाला रक्त स्राव बंद हो जाता है। सिर्फ गर्भाशय और बवासीर के रक्त स्राव में इसके लाभ नहीं होता है और इसको मुंह में रखने से खांसी में भी लाभ होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *